स्पष्ट अभिव्यक्ति जब अपनी हो आशा, सबसे सुलभ,सशक्त,सुन्दर लगे मातृभाषा। गैर भारतीय भाषाएं बहुत ही भरमाएं, शब्द प्रचुर मिले न अभिव्यक्ति लड़खड़ाए । पठन-पाठन, जपन-छापन,अपूर्ण प्रत्याशा, अपनी संस्कृति न मिले, उड़ न सके आशा। किस्से, कहानी, कविता की भाषाएं खान हैं, विज्ञान,प्रौद्योगिकी का न अपना आसमान है। भारतीय प्रतिभाएं ही […]