रिश्तों के गुलों को घर के कोनों में पड़े देखा, आज मैंने तहज़ीब को फिर मरते देखा। देखा आज अलग-अलग-सी बिकती खुशबूओं को, एक ही फूल को मंदिर और रंगीन बाजार में बिकते देखा। तू-मैं-हम सिर्फ औऱ सिर्फ एक छलावा सा है सुन ले दुनिया, बड़े-बड़े सिकंदरों को आज खाक […]