शब्दों ने ओढी खामोशी बोले मेरी निगाहें। मेहंदी, कंगना, कजरा, गजरा फूल तुम्हें छूने को आतुर अल्हा , कजरी, फाग सभी के शरमीले से लगते है सुर नजर, नजर से कहे, नजारे हम तो कुछ न चाहे शब्दों ने ओढी खामोशी बोले मेरी निगाहें । तुम्हे देखकर भोर सुहाए सांझ […]