कभी अपने से कभी, गैरों से छले गए रिश्ते।             मतलब की कढ़ाही में             तले गए रिश्ते॥ रोते रहे सिसक-सिसक, कर बेचारे अकेले में।             आंसूओं को पीते रहे,           […]

ऐ मिट्टी तू मुझे रौंदना अब सहम-सहम कर चलता हूँ, सोचता हूँ मैं तुम्हें रौंदता, पैरों के तले मैं रखता हूँ। डर लगता मुझको अब तुझसे है, तुझमें ही तो मिल जाना है, अंदर से अभिमान जागता, अभी तुझे रौंदने का ही तो पैमाना है। अब सच में भी अंतर […]

सूर्य लेने लगा अब करवट, दक्षिण से उत्तर की ओर। संक्रमण का समय है आया, अब आएगी फिर नई भोर। पतंग और माँजे के संग में, है बच्चों का कलरव शोर। मौसम भी अब बदला-सा है, प्रियतम-सा लगता चितचोर। गुड़-तिल का यह संयोजन है, मधुर हो मन ज्यों नाचे मोर। […]

कौन किस ‘पंथ’ का ? ? प्रश्न बड़ा गूढ़ है, मंज़िल मगर एक है क्यों लड़ रहे ये मूढ़ है ? ? कौन किस ‘वाद’ का ? ? अलग भले विचार हैं, देश की अखण्डता पर क्यों कर रहे प्रहार हैं ? ? विधर्मी-धर्मी,जात-पात कर रहे सब,व्यर्थ बात, राजनीतिक क्षुद्रता […]

सुबह की प्यारी-सी नींद में वो प्यारी-सी आवाज,-अरे भाग्यवान उठो री,सूरज चढ़ आया है।’ दीपक ताऊ की आवाज ने जैसे नींद को छूमंतर कर उसे नई चेतना प्रदान कर सचेत कर दिया। उस आवाज के साथ ही इक आवाज बिमला ताई की आई,तो जैसे अम्रत के घोल में जहर घोल […]

तेरा राम जी करेंगें उद्धार, उदासी मन काहे को डरे। मुद्दा ही खत्म हो जाएगा, मंदिर निर्माण कौन करे ? तू हिन्दूवादी बना रहे, मैं मुस्लिमवादी बना रहूँ। कभी तू गद्दी पर बना रहे, कभी मैं गद्दी पर टिका रहूँ। चुनाव खत्म हो जाने पर, अब यह चर्चा क्यों करें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।