महंगी दालें क्यों रोज रुलाती। सब्जी दूर खङी मुंह चढाती।। अब सलाद अय्याशी कहलाता है, महंगाई में टमाटर नहीं भाता है, मिर्ची बिन खाए मुंह जलाती।। मिट्ठे फल ख्वाबों में ही आते हैं, आमजन इन्हें नहीं खरीद पाते हैं, खरीदें तो नानी याद है आती।। कङवे करेलों के सब दर्शन […]

तेरे साथ गुज़ारे लम्हात, मेरी क़ीमती जागीर है । तेरे मुस्कुराकर देख़ना ही, मेरे ख़्वाबों की ताबीर है ।। तेरे बिन अधूरा सा हूं , निकलता हूं सफ़र पर, पहली ख़ुशी ज़िंदगी की, धड़कनों में मेरी धड़के, दिल से खेलने में मेरे, मेरे इश्क को मत परख़, Post Views: 47

आओ दोहा सीखलें,शारद माँ चितलाय। सीख छंद दोहा रचें,श्रेष्ठ सृजन हो जाय।। 💫 ग्यारह तेरह मात्रिका, दो चरणों में आय। चार चरण का छंद है,दोहा सुघड़ कहाय।। 💫 प्रथम तीसरे चरण में,तेरह मात्रा आय। दूजे चौथे में गिनो, ये ग्यारह रह जाय।। 💫 चौबिस मात्रिक छंद है,कुलअड़तालिस होय। सुन्दर दोहे […]

बालमन है सबसे सुंदर पवित्र यही कहलाता है अबोधता ही इसका गुण छल, कपट नही आता है विकार मुक्त रहता है मन पवित्रता गुण ही भाता है राग ,द्वेष से भी दूरी रहे कोमल तन मन सुंदर रहे अबोध से जो बोध बने बालक से जो बड़े बने माया मोह […]

तेरी बेरुखी से क्या हो गया। लिखने बैठे प्रेमगीत…2 लिख जाता लोकगीत।। तेरी बेरुखी से…….। समझ नही अब आ रहा मुझको, हो रहा ऐसा क्यों करें क्या हम अब। तुम ही बतला दो…2 मेरी जानेमन। बचा दो मुझे तुम मोहब्बत के चक्कर से।। तेरी बेरुखी से…….।। छोड़ दो मुझे तुम, […]

डयूटी के दौरान लोगों के प्रिय – अप्रिय सवालों से सामना तो अमूमन रोज ही होता है। लेकिन उस रोज आंदोलन पर बैठे हताश – निराश लोगों ने कुछ ऐसे अप्रिय सवाल उठाए , जिसे सुन कर मैं बिल्कुल निरूत्तर सा हो गया। जबकि आंदोलन व सवाल करने वाले न […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।