स्त्रियाँ सिर्फ प्रेम होती हैं, अगाध प्रेम, सागर की तलहटी के मानिन्द जिसकी गहराई की, कोई माप नहीं! क्षितिज के आँचल सी सुर्ख, आँखों को लुभाती, आकाश सी विस्तृत, मन को ठन्डक पहुचाती, दशों दिशाओं सी, रिश्तों में गुथीं ! जिसका कोई ओर छोर नहीं ! फूलों सी…महकती, चिड़ियों सी […]
