रससुजान रसखान है,मीरा के पद पूर। सुर-सुरा साहित्य लहरी,ग्रंथ रचे हैं सूर।। अष्ट छाप वर्णन किए,राधेश्यामा गीत। गली-गली गावत फिरे,मुरली में संगीत।। कृष्ण चतुर परमानन्द,गोविंद कुंभनदास। सूर नंद अरु छीतकवि,अष्टछाप के खास।। (‘हिन्दी दोहावली’ के इतिहास खंड भक्तिकाल से दोहा) #डाॅ. दशरथ मसानिया Post Views: 575