रिश्ते नाते  रीत  प्रीत के, खून का रिश्ता फीका हैं।   आभासी  रिश्ते चलते हैं, दूर का  रिश्ता  नीका है। दूध का रिश्ता दूर हो रहा, शीश पटल मोहताज हुए।   पास पड़ोसी अनजाने से, अनजाने  जन खास हुए। भाई – भाई  हुए  अजनबी, बहने बन गई  परायी अब।   […]

श्रृंगार हमारी वसुधा का हो, या हो अपनी मातृभूमि का। भारत का  श्रृंगार  करें  हम, या हो अपनी जन्मभूमि का। धरती  का  श्रृंगार  पेड़  हैं, पर्यावरण हम शुद्ध बनाएँ। मातृभूमि के गौरव के हित, शत्रु शीश  काट कर  लाएँ। प्रिय  वतन  श्रृंगार  तिरंगा, लहर  लहर  वो   लहराए। जन्मभूमि का गीत […]

दर्पण तू साँची कहइ , झूठइ जग सब लोग। किरच किरच हो जात है,साँच यही संजोग।। साँच सहन नहि कर सकै,जग पाखंडी धूर्त। दर्पण दोष करार दइ , लखइ न अपणो मूर्त।। दशरथ देख्यो आइनो, रामहि राज विचारि। रामलषनसिय वन गये,वै परलोक सिधारि।। .               दर्पण थारी साँच सूँ , खिलजी […]

.                  *1*  वरषा ने  है रोक दी, सबकी  ही  रफ्तार। काले  हो  गये बाजरे, कड़ब हुई  बेकार। कड़ब हुई  बेकार, फसल है  पानी पानी। कैसी होती पीर, सुनो यह जुबाँ किसानी। कहे लाल कविराय,पीर में भी मन हरषा। भली  करेंगे  राम, बरसले तू अब  वरषा। .                     *2*  बे  मौसम  का  बरसना, या  […]

दिवंगत पुज्यों के प्रति समर्पण, श्रद्धा से करते  श्राद्घ में तर्पण। देह नश्वर आत्मा है अविनाशी, पुनर्जन्म के   हम हैं विश्वासी। श्रद्धा से अर्पित कर पितरों की, सब सदा कृपा चाहा करते। अन्न धन करते दान विविध ,  काकों को भी बुला जिमाते। आत्म शान्ति हित तीर्थों में, होता पितृ […]

बीरा थाँ पै गरब छः राखी रो या परब छः पीहरियै आई  बीरा रीत तो निभाणी छः।। रक्षा बंधण त्योहार छः भाई  भैण  व्यौहार छः सारी  बाताँ पाछी गई …रही तो कहाणी छः।। लाखन में भाई मेरो रामजी को काँई बेरो भाई तो शहीद हुयो …मूरत पिछाणी छः।। भाई मेरो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।