वो जितनी देर रहा, मेरे साथ रहा मैं कारी बदली ,  वो बरसात रहा मुझे  बस उस तक ही पहुँचना है मैं उसका अंत , वो शुरुआत रहा ऐसे कैसे छूट जाएगी ये दिलदारी मैं उसका सहर,वो मेरी रात  रहा ये जिस्म से काफी दूर का सफर है दो रूहों […]

मैं धर्म की दलील देकर इन्सान को झुठला नहीं सकता मुझको तमीज है मजहब की भी और इंसानियत की भी ज़मीर भी गर बिकता है तो अब बेच आना प्रजातंत्र का मुझको समझ है सरकार की भी और व्यापार की  भी जो मेरा है मुझे वही चाहिए ना  कि तुम्हारी […]

तुम्हें बस ख़बर ही नहीं है वर्ना गुनाह यहाँ रोज़ होता है इस हुश्न की चारागरी में तो इश्क़ तबाह यहाँ रोज़ होता है ज़ख़्म सहने की आदत है सो दुआ फ़ना यहाँ रोज़ होता है भीड़ में होके भी आज इंसाँ बेवक़्त तन्हा यहाँ रोज़ होता है ज़िन्दगियाँ यूँ […]

ज़ुल्म होता रहे और आँखें बंद रहें ऐसी आदत किसी  काम की नहीं बेवजह अपनी ही इज़्ज़त उछले तो ऐसी शराफत किसी काम की नहीं बदवाल का नया पत्ता न खिले तो ऐसी बगावत किसी काम की नहीं मुस्कान की क्यारी न खिल पाए तो फिर शरारत किसी काम की […]

ये दर्द तो दो घड़ी है,गुजर जाएगा बारिश का पानी है, गुजर जाएगा दिल को अपना हमराज़ बना लो फिर जिधर कहोगे ,उधर जाएगा जिनकी ठोकरों में ख़ाकनशीं है वो कदम फिर दर-ब-दर जाएगा मेरी नज़्मों की औकात जानने में तुम  सब का खूने-जिगर जाएगा बदन छिल गई है ज़मीन […]

वो शमा और था, वो रहगुज़र और था हुश्नो-इश्क़ का नायाब मंज़र और था जिस नज़र तूने देखा,हम क़त्ल हो गए तेरी निगाहों में आज खंज़र और था बस छुआ और मैं कहीं खो सा गया तेरे अधरों पर खिलता शज़र और था #सलिल सरोज       नई दिल्ली Post […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।