व्यापारी सँग त्रस्त हैं शिक्षक और त्रस्त हैं विकल किसान, फिर भी हम कहते नहिं थकते मेरा भारत देश महान। ००० नाम अतिथि शिक्षक पर झेले हरदम वे शोषण की मार, मिलता वेतन कार्य दिवस का मुफ़्त रहे समझो रविवार। नियमित शिक्षक से हरदम वो विवश झेलने बस अपमान, फिर […]

मन की बात कहें क्या प्यारे मन का कोई पता नहीं, हुए पराये सभी हमारे मन का कोई पता नहीं! ००० जीवन में कायम हैं अब भी कई तरह के अँधियारे, ढूँढ़ें हम कैसे उजियारे मन का कोई पता नहीं! ००० तन्हाई की बात करूँ क्या वो तो परम संगिनी […]

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पूरी घाटी चमक रही थी चाँद सितारे झंडो से। कश्मीर में हवा चली थी अफजल के ही नारों से। सेना ने इस बार तमाचा ही जकड़ दिया। और घर घर जाके अफजल को ही मार दिया।। अरे निकम्मो कुछ तो शर्म करो। अपने भीतर झाको कुछ तो हरम करो। तुमने […]

आज अपने ही सुजन कितने दलों में बँट गये, कुछ सहज गद्दार लोगों से ही नाहक पट गये! ००० जिनका परिचय वास्तव में गोष्ठियों से ही बढ़ा, मंच क्या उनको मिला वह गोष्ठियों से हट गये! ००० साथ देने का वचन जो नित हमें देते रहे, आज वह अपने ही […]

(1) नमस्कार भी है नहीं,उनको क्यों स्वीकार। मेरी अच्छी पोस्ट भी,देते वह दुत्कार।। देते वह दुत्कार,रहें निज भौंहें ताने। तुले हुए जो लोग,झूठ को सत्य बताने।। कह सतीश कविराय,न उगलें निज गुबार भी। सरस नहीं स्वीकार,है जिनको नमस्कार भी।। (2) मंच दिलाने बढ़ रहे,प्रतिभाओं को चोर। कलियुग की महिमा सरस,फैली […]

भावों से जन्मे जो है सिर्फ़ वही कविता, जो सोच के लिखता वो लिख सकता नहीं कविता! ००० जब-जब भी क़लम लेकर मैं बैठता हुँ लिखने, तब-तब ऐसा लगता ख़ुद बोल रही कविता! ००० डूबे हैं अहं में जो पग से लेकर सिर तक, बोलो,उनके दिल में कब-कब है बही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।