तुम लेके आओ भीड़,मैं मुँह मोड़ लेता हूँ इंसानियत से अब हर रिश्ता तोड़ लेता हूँ जानवरों के लिए इंसानों की अब बलि दो इतिहास के पन्नों में ये क़िस्सा जोड़ लेता हूँ आतंक का साया बढ़ा दो तुम रोज़ बेइन्तहां मैं आँखें बन्द करके अपनी राहें मोड़ लेता हूँ […]

जो देखूँ दूर तलक तो कहीं बियाबाँ , कहीं तूफाँ नज़र आता है इस फ़िज़ा की मुस्कराहट के पीछे कोई श्मशान नज़र आता है इंसानों ने अपनी हैवानियत में आके किसी को भी नहीं बख्शा है कभी ये ज़मीं लहू-लुहान तो कभी घायल आसमाँ नज़र आता है मशीनी सहूलियतों ने […]

आख़िर तुम मुझे क्या दे पाओगे ज्यादा से ज्यादा अपराध बोध से भरी हुई अस्वीकृति या आत्मग्लानि से तपता हुआ निष्ठुर विछोह हालाँकि इस यात्रा के पड़ावों पर कई बार तुमने बताया था इस आत्म-मुग्ध प्रेम का कोई भविष्य नहीं क्योंकि समाज में इसका कोई परिदृश्य नहीं मैं मानती रही […]

जिनको जीना है,वो उनकी आँखों से जाम पिया करें और इसी तरह अपने जीने का सामान किया करें खुदा किसी के मकाँ का शौकीन तो नहीं रहा तो दिल में ही कभी आरती तो कभी आज़ान किया करें हमेशा दूसरों की नज़र में ही अहमियत जरूरी है क्या कभी तो […]

मेरे खेत की मुँडेर पर वो उदास शाम आज भी उसी तरह बेसुध बैठी है जिसकी साँसें सर्दी की लिहाफ लपेटे ऐंठी है मुझे अच्छी तरह याद है वो शाम जब तुम दुल्हन की पूरी पोशाक में कोई परी बनकर आई थी जब सूरज क्षितिज पर कहीं ज़मीन की आगोश […]

ये भीड़ कहाँ से आती है ये भीड़ कहाँ को जाती है जिसका कोई नाम नहीं है जिसकी कोई शक्ल नहीं है जिसको छूट मिली हुई है समाज,कानून के नियमों से जिसकी शिराओं में खून की जगह द्वेष की अग्नि बहती है जिसके मस्तिष्क में भवानों के वजाय क्रोध भड़कती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।