भूख लगे तो रोटी की जात नहीं पूछा करतेपेट को लगेगी बुरी,ये बात नहीं पूछा करते 1 ये धरती बिछौना ,ये आसमाँ है शामिआनाबेघरों से बारहाँ दिन -रात नहीं पूछा करते 2 मालूम है कि एक भी पूरी नहीं हो पाएगीबेटियों से उनके जज्बात नहीं पूछा करते 3 क्यों बना […]

यह इतिहास है गौर से पढ़िएगा एक एक सीढ़ी तौर से चढ़िएगा सच और झूठ एक ही सफे पर विश्वास ना हीं और से करिएगा जो शासक चाहे वही यह बोले फिर आप हर दौर से डरिएगा जो जानते हैं वो भी सच है क्या नहीं तो बिना ठौर* के […]

लिखना है तो बादलों पे इबारत लिखो कोई कभी शबनम तो कभी क़यामत लिखो कोई कोहरों के बीच से रास्ता निकल के आएगा मंज़िलों के ख़िलाफ़ भी बगावत लिखो कोई फसलें नफरतों की सब कट जाएँगी खुद ही धरती के सीने पे ऐसी मोहब्बत लिखो कोई कितनी सदी तक यूँ […]

अच्छा था मेरे दर से मुकर जाना तेरा आसमाँ की गोद से उतर जाना तेरा तू लायक ही नहीं था मेरी जिस्मों-जाँ के वाजिब ही हुआ यूँ बिखर जाना तेरा मेरी हँसी की कीमत तुमने कम लगाई यूँ ही नहीं भा गया रोकर जाना तेरा तुझे हासिल थी बेवजह दौलतें […]

कोई रोज़ सही कोई लम्हा भी ऐसा हो बादलों में भींगा हुआ सरज़मीं जैसा हो पानी नाचे झूमके लहलहाते फसलों पे कैसे पागल होते हैं, फिर शमा वैसा हो पेड़ों के बदन पर हों सोने की बालिया पगडंडियों पर बरसता रूपया पैसा हो नदी गाए गीत कोई, झरने नाचे ताल […]

ज़ुल्फ़ों को चेहरे पे कितना बेशरम रखते हैं ज़माना अच्छा हो फिर ये भी भरम रखते हैं  ये बारिश छू के उनको उड़ न जाए तो कैसे बदन में तपिश और साँसों को गरम रखते हैं  कमर जैसे पिसा की मीनार,निगाहें जुम्बिश अपनी हर इक अदा में कितने हरम रखते हैं  उनको पढ़ […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।