मुझे ऐसा राज्य नहीं चाहिए जहाँ सदैव परीक्षा सीता दे, क्या लक्ष्मण का कर्तव्य नहीं जो, जो लौट के वन से हाथों में गीता ले। माना राम का राजधर्म था सत्य संहिता लिखने का, पर बेचारी उर्मिला का दोष कहाँ बिन कारण वनवास भोगने का। धर्मनिष्ठ की सदा ऋचाएँ हमने […]

बच्चे ही इस दुनिया में,हैं ईश्वर का रुप, लालन-पालन प्रेम से,दें हम नेक स्वरुप। दें हम नेक स्वरूप,हैं वह भावी नागरिक, हों बच्चे मजबूत,हों तब ही सक्षम सामरिक। कहते कवि ‘संतोष’,होते ये दिल के सच्चे, सुंदर-सी मुस्कान,होते हैं निश्छल बच्चे॥                     […]

देखो बिना टिकट का खेल, छुक-छुक करती आई रेल। लाल घघरिया पहने बिल्ली, बैठ  गई  जाने  को  दिल्ली। दौड़ा-दौड़ा  आया भालू, रेल हो गई तब तक चालू। बड़ी जोर से चिल्लाया बंदर, चाचा  जल्दी  बैठो  अंदर। ज्योंज्यों भालू कदम बढ़ाता इंजन आगे बढ़ता जाता। तेज दौड़कर भरी छंलाग, उलझ  गई  […]

बच्चे मन के सच्चे, नहीं उनसे सच्चा कोई। बच्चों का दिल होता, गंगाजल-सा पावन। बच्चों की तो हर बात ही, होती निराली है। वे तो होते हैं जैसे, कोई दमकता हीरा। नहीं मन में कोई उनके, अपना या पराया होता। उनकी तो अपनी, दुनिया ही अलग होती है। बच्चे मन […]

(बाल-दिवस विशेष) न जाने कहाँ खो गया, बच्चों का बचपन। न जाने कहाँ से आ गया, बच्चों में बड़प्पन ? हैलो हाय के चक्कर में, भूल गए करना नमन। ईश्वर का दर्शन नहीं करते, करते हैं सदा दूरदर्शन। गुड मॉर्निंग उठते ही कहते, करते नहीं अब अभिनंदन। बुजर्गों के संस्कार […]

जब तक मन में चाह थी, तब तक मिली न राह। राह मिली अब तो नहीं, शेष रही है चाह॥ राम नाम की चाह कर, आप मिलेगी राह। राम नाम की राह चल, कभी न मिटती चाह॥ दुनिया कहती युक्ति कर, तभी मिलेगी राह। दिल कहता प्रभु-भक्ति कर, मिल मुक्ति […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।