रिश्ते निभाने में बहुत वक़्त लगता है सो हर एक से ही फासला बनाते रहिए कितनी तामील हो पाएगी,मलाल नहीं आप तो रोज़ नया फैसला सुनाते रहिए खुद ही कहिए और खुद ही सुना कीजिए इस तरह अपना हौसला जुटाते रहिए कभी घर के अन्दर,कभी घर के बाहर अपनी हरकतों […]

बादल बना है फिर सवाली आसमाँ क्यों खाली-खाली किसने लूटा है गुलिस्तां को बिखरा हुआ है डाली-डाली किस-किस से करे हिफाज़त डरा हुआ हर माली-माली चाँद खा गया सेंक के कोई रात रह गई काली-काली उम्मीदें मर गईं चिल्ला के खूँ से भरा है थाली-थाली मंदिर-मस्जिद तोड़-ताड़ के अब बोलते […]

बंजर में फूल खिल गया है कोई अपना दिल हार के गया है कोई उदास सा लगता है खुदा कोई बच्चा मन मार के गया है कोई माँ अधमरी हो गई दफ़अतन कलेजा फाड़ के गया है कोई तुम्हारी छतों पे सूरज दिखे है अपनी धूपें लार के गया कोई […]

यह जो नया शहर बसा है यहाँ कहीं कोई गाँव तो उजड़ा होगा ज़मीं बेआबरू होकर बंजर हुई टिड्डों का काफिला गुज़रा होगा शेख साहब महफ़िल में आ बैठे अब दुआओं में भी मुजरा होगा यहाँ हवाएँ बहुत शान्त लगती हैं पास जरूर दर्द का हुजरा* होगा दो लोग बैठे […]

जो रहगुज़र हो जाए तेरे तन बदन का मुझे वही झमझमाती बारिश कर दो तुमसे मिलते ही यक ब यक पूरी हो जाए मुझे वही मद भरी ख़्वाहिश कर दो जो रुकती न हो किसी भी फ़ाइल में मेरी उसी “साहेब” से गुजारिश कर दो गर लैला-मजनूँ ही मिशाल हैं […]

ये लोकतंत्र का तमाशा मैं रोज़ यहाँ देखता हूँ मैं अँधेरे में रहता हूँ,पर कोई अंधा  नहीं हूँ लगता है आप भाषणों से सब को खरीद लेंगे मैं बाज़ार में बैठा हूँ,पर कोई धंधा नहीं हूँ हैं जान बहुत बाकी अभी,यूँ जाया न कर मुझे मैं जनाज़े में तो हूँ,मैय्यत […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।