समय के साथ-साथ जैसे परिवार के मुखिया का स्वरूप बदलता रहता है, ठीक उसी प्रकार से आज हिंदी का स्वरूप भी बदला हुआ है । हिंदी आज के परिवेश में बुजुर्गियत की सीमा रेखा को पार करने के कगार पर है । शायद इसलिए हमने हिंदी को कुर्सी पर बिठा […]

भारत में अनेक भाषाएं एवं बोलियां है लेकिन उसके बावजूद लगभग हर शहर-क़स्बे में अंग्रेजी में लिखे बोर्ड आखिर गुलाम मानसिकता के अतिरिक्त क्या है? क्या उपरोक्त चित्र प्रमाण नहीं है कि ‘दिनदहाड़े हम निज भाषा गौरव रसातल की ओर ले जा रहे हैं।’ विचारणीय है कि आखिर क्यों  अंग्रेजी […]

बरसों से जिस दस्यू मानसिकता के चलते अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार हुए उनसे उपजी हताशा और निराशा को कम करने देश के संविधान ने उन्हें कुछ विशेष सहुलियतें दी। आजादी से पहले गुलामी के जिस दर्द को हर भारतीय सहता था, आजादी मिलने […]

समाज के सुधार के पहले क्रम में जातिवाद के समूल नाश के आगे एक राष्ट्र -एक कानून और एक तरह के लाभ की बात रखी जाती थी, राजनीति की सदैव से मंशा तो तरफदारी की रही परन्तु इस बार अनुसूचित जाति,जनजाति की सबलता के लिए बनाये गए अधिकार और संरक्षण […]

नगरीय क्षेत्र बढ़ती अतिक्रमण समस्या पर जनसहयोग ही सार्थक पहल नगर की गंभीर समस्या अतिक्रमण जो नगर के विकास की गति को अवरुद्ध कर रही है जो नगर के सभ्रांत समाज की चकोर नजर से नजरअंदाज है। नगर की प्रमुख सड़को पर अतिक्रमण की घेराबंदी से प्रभावित होता व्यापार स्वयं […]

दरअसल आपदा प्रबंधन के व्यापक मुद्दे जैसे कि निगरानी, मूल्यांकन, खोजबीन और बचाव, राहत, पुर्निर्माण और पुर्नवास आदि। इसमें बहु-क्षेत्रीय शासन व्यवस्था, वैज्ञानिक, नियोजक, स्वंय सेवी और समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। इन भूमिकाओं और गतिविधियों में आपदा पूर्व आपदा के दौरान तथा आपदा उपरांत के चरण शामिल होते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।