महोदय, राष्ट्रपति सचिवालय से हिन्दी में प्रेस विज्ञप्तियाँ जारी नहीं की जा रही हैं और न ही वेबसाइट पर प्रकाशित की जा रहीं हैं। राष्ट्रपति सचिवालय में धारा 3(3) का उल्लंघन भी हमेशा किया जाता है। 1) 19 अगस्त 2020 को सचिवालय द्वारा अंतिम बार हिन्दी में “भारत के राष्ट्रपति […]

क्यों मानें कि सपना कोई साकार नहीं होता, हम गुजरे कल की आंखों का सपना ही तो हैं।। सुनील चौरसिया ‘सावन’ संभवत: स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्र थे जब पहली बार उन्होंने मुझे काव्य सर्जना में अपना प्रथम प्रयास दिखलाया था जो गीता का भावानुवाद (श्रीकृष्णार्जुन भावधारा ) था। प्रथम […]

(गणित दिवस 22.12.20 पर विशेष) भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सन 1150 ईस्वी में संस्कृत के 625 श्लोकों में गणित विषय गायन विधा से सरल नवाचार जन जन तक पहुंचाया । इसी परम्परा को 870 साल बाद आगर मालवा उत्कृष्ट उ मा विद्यालय के राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक डाॅ दशरथ मसानिया ने […]

बाल एक जीवित पदार्थ है जो स्तनधारियों के शरीर पर ही पाया जाता है। यह त्वचा की बाहरी सतह से निकलने वाली एक रेशेदार संरचना है। मुड़ पैरों वाले कीड़ों में भी ऐसी संरचनाएं होती हैं जो शरीर से बाहर निकलती हैं, लेकिन उन्हें बाल नहीं कहा जाता है क्योंकि […]

इसको लिखने के लिए मुझे डाक्टर शाहिद परवेज की किताब का अध्ययन किया। जिससे मैं इस को लिखने में कामयाबी हासिल कर चुका हूं।पूरे विश्व में हरियाणवीऔर उर्दू संभवतः अकेली ऐसी भाषाएं हैं जिनके संज्ञा, सर्वनाम, क्रियापद और वाक्यरचना पूर्णतः समान होने के बावजूद उन्हें दो अलग-अलग भाषाएं माना जाता […]

राजनीति एक ऐसा खेल है जिसमें सभी खेल खुले मंचों पर कभी भी नहीं होते यह एक अडिग सच है। गाँव की राजनीति से लेकर क्षेत्र की राजनीति तक एवं प्रदेश की राजनीति से लेकर देश की राजनीति तक। सभी खेल कभी भी खुले मंचों पर नहीं होते। क्योंकि राजनीति […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।