मेरे सर पे दुवाओं का घना साया है। ख़ुदा जन्नत से धरती पे उतर आया है।। फ़कीरी में मुझे पैदा किया, पाला भी। अमीरी में लगा मुँह – पेट पे, ताला भी।। रखा हूँ पाल, घर में शौक से कुत्ते, पर। हुआ छोटा बहुत माँ के लिए, मेरा घर।। छलकती […]
Uncategorized
आस्था के साथ जुडी मानसिकता को परिवर्तित करना आसान नहीं होता। यही जुडाव जटिलता की ऊंचाइयों पर पहुंचकर परेशानियां पैदा करने का कारण बनता है। जुडाव को विस्त्रित अर्थों में लेना पडेगा। तर्कविहीन, विवेकविहीन और आधारविहीन मान्यतायें जब रूढियां बनकर अठखेलियां करने लगतीं है तब आदर्श, अन्धविश्वास में परिवर्तित हो […]
