हम मजदूर हैं मेहनत करना हमारा काम, आस इतनी ही श्रम का मिल जाये वाजिब दाम। हाथों के छालों से नये निर्माण हो पाते, रोज लाते बमुश्किल आटा-दाल वही खाते। जन्मी सन्ततियां धूल में बड़ी होती रहती, कुछ साल में मजबूरी मजदूर बनने को कहती। सुबह कांदा रोटी खाकर शाम […]
