पैदल चलकर नाप रहे ख़ुद सड़कों की लंबाई, भूखें प्यासे बच्चों के संग मज़बूरी में भाई, नंगे सूजे पैर जल रहे, बिना रुके दिन रात चल रहे, भूख की खातिर छोड़ा था घर, गांव छोड़ आये थे वो शहर, भूख के कारण अब उनकी है पेट से स्वयं लड़ाई, रक्तरंजित […]

न किस्सों में न कश्तियों में, जिंगदीकी खूबसूरती है रिश्तों में। किसे पता था कि ऐसा भी वक्त आएगा, जब इंसान इंसान से दूरियां बनाएगा। खुद को भगवान समझ बैठा था, और मौत के फैसले खुद लिखता था। कुदरत का कहर तो देखो, मौतके डरसे खुद छुपा बैठा है घर […]

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान,हरियाणा,भारत के ऑनलाइन राष्ट्रीय महाकवि सम्मेलन दिनांक 19/05/2020 को शाम 6 बजे से आयोजन किया गया! संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष नवलपाल प्रभाकर’दिनकर’ जी के द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया! संस्था के सचिव रुपेश कुमार जी के द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार किया गया एव […]

बस करो बस की सियासत को, और न बढ़ाओ इस आफत को। मजदूर पहले से ही परेशान है, और न कम करो उसकी हिम्मत को।। बेबस था पहले ही बेचारा मजदूर, और न करो तुम उसको मजबूर। पहले तो उसकी रोजी रोटी छीनी, अब वह पैदल चलने पर मजबूर। मजदूर […]

ब्रह्माकुमारीज ने सिद्ध कर दिखाया रोगप्रतिरोधक है उनकी काया सात्विक भोजन उनका आहार सदा मन मे रहते अच्छे विचार प्रभु याद में उनका बीतता जीवन राह भटको को दे देते नवजीवन प्रदूषण रहित पैदा करते है ऊर्जा सूर्य की किरणों से मिलती है उर्जा योगिक खेती करते वे निराली स्वयं […]

चिलचिलाती धूप और तेज़ पड़ती गर्मी, कराहती धरती और उस पर चलते भारत के नवनिर्माता के पाँव में होते छाले, नंगे पैर अपनी मजबूरियों की गठरी सिर पर बाँधे, हाथ में अपने भविष्य की रोटी यानी अपने बच्चों और पत्नी या परिवार को साथ लेकर निकलने वाला, वो एक कहानी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।