आजादी के बाद जब 1950 में संघ लोक सेवा आयोग की पहली बार परीक्षा हुई तो उसमें 3647 अभ्यर्थी शामिल हुए थे जिनमें से 240 उत्तीर्ण हुए. 1960 में 10000 बैठे थे, 1970 में 11710 बैठे थे और 1979 में यह संख्या बढ़कर एक लाख से ऊपर हो गई. इस […]

कल से कल तक मैं आज को ढूंढ रहा हूँ। जीवन के बीते पलो को, आज में खोज रहा हूँ। शायद मुझे वो पल आज में मिल जाये ।। गुजरा हुआ समय, कभी वापिस नहीं आता। मुँह से बोले शब्द भी, कभी वापिस नहीं आते। इसलिए बहुत सोच समझकर, शब्दो […]

नहीं लगा पाओगे इसका अनुमान कौन है जहान में कितना परेशान किसी के जीवन में है कितनी खुशी अंदाज़ा ना लगाना देख उसकी हँसी चाहत नहीं होती फिर भी चाहना पड़ता है ग़मों को छिपाकर मुस्कुराना पड़ता है बहते हैं उनके अश्रु भी जो सुख में जीवन जीते हैं दिखें […]

सावधानी हटी दुर्घटना घटी परिणाम भयावह एक मां का बेटा गया एक बहन का भाई परिवार का सहारा गया जीवन से उजाला गया काश!सावधानी बरतते हेलमेट पहनते बच जाती जान न होता नुकसान प्रभु नियति मे न पड़ता व्यवधान दुर्घटना से मौत पर रोक लगे हर कोई अपना जीवन पूरा […]

प्रिय साथियों, महात्मा गाँधी संस्थान के सृजनात्मक लेखन एवं प्रकाशन विभाग द्वारा १९७८ से त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ‘वसंत’ (ISSN- 1694-4100) का हिंदी में निरंतर प्रकाशन होता आ रहा है l श्री अभिमन्यु अनत जी इसके प्रथम संपादक थे l प्रवासी हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उनका अप्रतिम योगदान अविस्मरणीय है […]

सोच बदलो गाँव बदलो अब चलो गाँव में। तभी हम गांवों को खुशाल बना पाएंगे। और नया हिंदुस्तान हम मिलकर बनाएंगे। और गांवों का इतिहास एक बार फिरसे दोहरायेंगे। गांवों की मिट्टी का कोई जवाब नहीं है। पैरो में लगती है तो चलने की शक्ति आती है। माथे पर लगाओं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।