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बेटियाँ घर का मान होती हैं,पिता का सम्मान होती है,                                  भेदभाव न करो इनसे,आखिर ये भी इन्सान होती है। किसी ने दिलों को छुआ,तो किसी ने आसमां को,              […]

साथ निभाना, दिल मत जलाना न आजमाना। एक किताब, महकता गुलाब सजाए ख्वाब। कैसी महक, फैली दूर तलक जैसे फलक। नेक विचार, सुधरता आचार सुखी संसार। संत सत्कार, हो सपने साकार खुशी अपार। बूढ़े लाचार, नित करे पुकार मत दुत्कार। भ्रम जलते, हृदय से मिलते फूल खिलते।       […]

मुझे क्या पता, ये दुनिया कैसी है? कैसा इसका रंग है कैसी इसकी सुन्दरता। मुझे न पता, मेरी मां कैसी है? कैसा उसका रूप है, कैसा उसका चेहरा। पता है तो सिर्फ मुझे, बस इतना है पता प्यारी होगी उसकी सूरत, जब इतनी प्या री है उसकी मुझपर ममता। मुझे […]

अजब-सी है ये जिन्दगी, कभी खुशियों का त्योहार है जिन्दगी। तो कभी दुखों की हार है जिन्दगी। कभी प्यारा-सा अरमान है जिन्दगी, तो कभी पीड़ा से भरा तूफान है जिन्दगी। कभी सफलताओं का उपहार है जिन्दगी, तो कभी असफलताओं का प्रहार है जिन्दगी। कभी अमावस की रात है जिन्दगी, तो […]

लाखों घर बर्बाद हो गए इस दहेज की बोली में, अर्थी चढ़ी हज़ारों कन्या बैठ न पाई डोली में। कितनों ने अपनी कन्या के पीले हाथ कराने में, कहाँ-कहाँ है माथा टेका,शर्म आती बतलाने में। क्यों टूट रहे परिवार रोज ही,क्यों फूट रही हैं तकदीरें, लोभी फिर भी खोज रहे,नित […]

कैसे दूँ शरण मैं निर्दोष मानव के हत्यारों को, कैसे मरने दूँ इनके हाथों देश के पहरेदारों को। आज जो शरण मांग रहे,कल वो अपना अधिकार मांगेंगे हमारी मातृभूमि पर,ये बँटवारा रुपी खंजर चलाएंगे,                                  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।