फैली चारों ओर धन की मांग, चंदा एवं चकोर धन की मांग। जिदर भी जाऊं प्रश्न वही है, गढ़ी भले बकोर धन की मांग। फकीरी भी बड़ा कारोबार है, डाकु कोई चोर धन की मांग। मेरी तो क्या औकात है भाई, पागलों का शोर धन की मांग। पवित्रता लेने गया […]
गुरव समाज द्वारा अपनी बोली और संस्कृति को सहेजने के लिए गुरव संस्कृति ग्रन्थ का निर्माण किया गया था। इसी ग्रन्थ के सम्पादक मनीष निमाडे को सोमवार को महाराष्ट्र के पुणे में आपना शोध लेख प्रस्तुत करने का अवसर मिला। युनेस्को आधारित अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा आयोजित प्रोग्राम मेरी सांस्कृतिक पहचान – मेरा […]
