जनसरोकारों को भूल गए है राजा स्वहित साध रहे है स्वयं पांच लाख वेतन पा रहे है जनता को महंगाई से रुला रहे है किसान कंगाली मे बदहाल है व्यापारी बेचारा तंगहाल है गरीब की गरीबी बढ़ती जा रही उनकी अमीरी आकार बढ़ा रही आर्थिक असमानता मुहं चिढ़ा रही समाज […]
प्रिय साथियों, महात्मा गाँधी संस्थान के सृजनात्मक लेखन एवं प्रकाशन विभाग द्वारा १९७८ से त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ‘वसंत’ (ISSN- 1694-4100) का हिंदी में निरंतर प्रकाशन होता आ रहा है l श्री अभिमन्यु अनत जी इसके प्रथम संपादक थे l प्रवासी हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उनका अप्रतिम योगदान अविस्मरणीय है […]
