काश! पुनः लौटकर वह प्यारा बचपन आता। ठुमुक-ठुमुक चलते हुए पाठशाला जाता।। गुरूजी का डण्डा देख मन में सकपकाता। छिप- छिपकर कक्षा में कुछ न कुछ खाता।। चोर लिखकर पीठ पर, खूब खिलखिलाता। जब वह पूछता,”किसने लिखा?”तो मुस्कुराता।। बस्ता में बस्ता बाँध , एक दूजै को लड़ाता। काश! पुनः लौटकर […]
