ढूंढ रहा हूँ अपनी कविताओं को, भाड़े के कमरे के कोने–कोने में.. जहाँ कमरे के बाहर खोले गए, चप्पलों के संख्या के हिसाब से.. बढ़ जाता है किराया हर माह, ढूंढ रहा हूँ अपनी कविताओं को.. चावल,दाल और आटे के खाली कनस्तरों में, बेटी के दूध की बोतल में.. जिसमें […]