नवरात्र चतुर्थ दिवस स्वरूप माँ कूष्माण्डा विशेष कविता मंद – मंद मुस्कराकर माँ ने ब्रम्हांड का निर्माण किया । नाम पडा हैं तब से कूष्मांडा पूर्ण धरा पर जो आज छाया ।। ब्रम्हांड में इनका तेज समाया सूर्यलोक में माँ ने मुकाम पाया । है सारी सृष्टि इनसे आलोकित माँ […]