मैंने जब ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा लिखी `जूठन` आत्मकथा का भावन करके उसे आत्मसात् किया,तब मेरे मन में जो संवेदना,जो प्रश्न उठे,उसी को मैं सामने रखकर वाल्मीकि जी के प्रति अपनी शब्दांजलि प्रकट करना चाहती हूँ,क्योंकि कथा तो सब पढ़ते हैं लेकिन उस कथा में से जो संवेदनाएँ निकलती हैं उसे आत्मसात् करना […]