मित्रों नमस्कार, मेरा यह लेख धन्यवाद स्वरूप मेरे उन अनुयायियों (फालोअर्स)नहीं ,बल्कि उन विरोधियों को समर्पित है जिन्होंने अपने पारदर्शी लेकिन सच से परे होने वाले लेख पर मुझे यह लिखने के लिए प्रेरित किया है। हमेशा से ही सोशल मीडिया पर ऐसे चिकित्सा लेखों की भरमार रही है जिसमें […]

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* अर्पण जैन ‘अविचल’ वो भी संघर्ष करती है, मंदिर-मस्जिद की लाइन-सी मशक्कत करती है, वो भी इतिहास के पन्नों में जगह बनाने के लिए जद्दोहद करती है, लड़ती- भिड़ती है, अपने सपनों को संजोती है, अपने अरमानों से जिद्द करती है, परेशान इंसान की आवाज़ बनकर, न्याय के मंदिर […]

हिन्दी भारत के व्यापक क्षेत्र की भाषा है, जिसका स्थान एक क्षेत्रीय भाषा से ऊपर उठकर पूरा देश है। हिन्दी समस्त भारत में किसी न किसी रूप में बोली और समझी जाती है। जब भारत में दो विभिन्न प्रान्तों, समुदायों और भाषाओं के लोग आपस में अपनी बात करते हैं […]

यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक / लेखकों का है, मातृभाषा.कॉम का नहीं। दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के बहाने ही सही एक ऐसी बहस तो शुरु हुई,जिसे बहुत पहले […]

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सदियों से उसे समृद्ध बनाने वाली,प्राण फूंकने वाली,सदैव विकास पथ पर चोली-दामन सा साथ निभाने वाली आंचलिक बोलियों को इतनी निर्ममता से उससे अलग करने का विचार भी मन मे ना लाएंँ। भारत विभिन्नताओं का देश है,यदि उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक सरसरी दृष्टि से इसका सर्वेक्षण […]

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-प्रभु जोशी अंग्रेजों के शताब्दियों तक जर-खरीद गुलाम रहे भारत जैसे मुल्कों के बीच, वहां के मीडिया द्वारा बहुत कारगर युक्ति से यह मिथ्या-प्रचार लगातार किया जाता रहा है कि अंग्रेजी ही ‘विश्वभाषा‘ है और उसका कोई ‘विकल्प‘ नहीं है। लेकिन अब सबसे बड़ी विडम्बना यही होने जा रही है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।