जीना मुश्किल,मरना आसान हो गया हर दूसरा घर कोई श्मशान हो गया माँ कहीं,बाप कहीं,बेटा कहीं,बेटी कहीं एक ही घर में सब अन्जान हो गया शहरों में नौकरियाँ खूब बिका करती हैं इस अफवाह में गाँव मेरा वीरान हो गया मन्दिर की घंटियाँ वो मस्जिद की अजानें दोगले सियासतदानों की […]

इश्क़ का भ्रम यूँ बनाते रहिए इस दिल में आते जाते रहिए आप ही मेरी नज़्मों की जाँ थी ये चर्चा भी सरे आम सुनते रहिए सिलिए ज़ुबान तकल्लुफ से लेकिन निगाहें मिलाते रहिए आप मेरी हैं भी और नहीं भी ये जादूगरी खूब दिखाते रहिए आप बुझ जाइए शाम […]

आग लगाने वाले आग लगा चुके पर इल्ज़ाम हवाओं पे ही आएगा रोशनी भी अब मकाँ देखे आती है ये शगूफा सूरज को कौन बताएगा बाज़ाए में कई”कॉस्मेटिक”चाँद घूम रहे अब आसमाँ के चाँद को आईना कौन दिखाएगा नदी,नाले,पोखर,झरने सभी खुद ही प्यासे तड़पती मछलियों की प्यास भला कौन बुझाएगा […]

कोई क़यामत न कोई करीना याद आता है जब दुपट्टे से तेरा मुँह छिपाना याद आता है एक लिहाफ में सिमटी न जाने कितनी रातें यक ब यक दिसम्बर का महीना याद आता है ज़ुल्फ़ की पेंचों में छिपा तेरा शफ्फाक चेहरा किसी भँवर में पेशतर सफीना याद आता है […]

दूसरों का दिल तोड़ते रहिए बस घर अपना जोड़ते रहिए जहाँ सवाल हो जाए आपसे राह भी वहीं से मोड़ते रहिए जो दिखाता हो असली चेहरा वो शीशा बेधड़क फोड़ते रहिए आवाज़ खिलाफ में एक न हो हर एक की गर्दन मरोड़ते रहिए सच हो जाए खुद से ही परेशान […]

झूठ कहने के तरीके हज़ार हैं साहेब आपके सलीके हज़ार हैं अखबार,व्यापार,सरकार,सरोकार आज सब नंगे खड़े भरे बाज़ार हैं मान गए आप आला खलीफा हैं बेच दिए यूँ ही नहीं मंदिर मज़ार हैं हर कही बात हो ,जरूरी तो नहीं पर आँखों से रोते तो जाऱ जाऱ हैं वक़्त पूछेगा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।