रंग,अबीर,गुलाल से खेलों मनमुटाव रंगों से धोलो लो छल, कपट,प्रपंच सब छोड़ो प्रेमभाव की जय अब बोलो भक्त प्रहलाद बनकर जी लो परमात्म याद का अमृत पी लो बुराई कही कोई रह न जाएं ऐसे सदसंकल्प अपना लो व्यसन ,फूहड़ता,हुड़दंग न हो रंजिश, हिंसा,उत्पात न हो शांति, भाईचारे की मिशाल […]
