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जोकर, एक असाधारण व्यक्तित्व का.. साधारण-सा नाम, शायद इसीलिए आसान नहीं होता.. जोकर हो पाना, वैसे कोई चाहता भी नहीं जोकर बनना, जोकर कहलाना, क्यूंकि, हर कोई चाहता है खिलखिलाना-मुस्कुराना.. पर दूसरों पर, खुद पर हँसने और खुद पर हंसाने का माद्दा हर किसी में नहीं होता और जिसमें होता […]

टूट गया आखिर, दिन के दरिया पे बना शाम का बाँध, रात का सैलाब बह निकला.. और ख्वाबों के सितारों का शहर डूब गया जहाँ, रहते थे कई मासूम जज़्बात। चाँद की कश्ती, अब तैर रही है.. जो निकली है ढूँढने, बच गए हों जो कोई.. ज़िन्दा जज़्बात। सुबह के […]

मत रुठ आज मुझसे मेरे हमजोली, खेलेंगे आज तो हम संग तेरे होली। आई है फिर ये रुत बड़ी ही सुहानी, न करना मेरी बातों से आनाकानी। आजा मेरी जां कहीं ये रैना न बीते, खेलेंगे आज तो हम संग तेरे होली। कौन-सा रंग मल दूँ तुझे जरा ये बता, […]

होरी की खुमारी में मैं डूब रही सखी, बोल न कैसे मनाऊँ अबके होरी….? रंग ले आऊँ जाय के हाट से,चल मोरे संग..।लाल रंग लगवाऊँ के,पीरा… हरा रंग चपखीला..के गुलाबी नसीला! ऐ सखी बोल न….कुछ तो बोल…?? प्रीत की ये पहरी होरी है रे! मन बौराया है,सुध-बुध हार बैठी हूँ…।पर […]

जीवन में जब बढ़ने लगे वियोग, अनेक रोग जब कर रहे भोग.. जब शरीर को करना हो निरोग, तो एक ही रास्ता है योग। सांसों को जब लगाना हो आयाम, तो करे मानुष थोड़ा प्राणायम.. आसन से आती सकारात्मकता, ध्यान से दूर होती नकारात्मक्ता। जब शरीर को करना हो निरोग, […]

सोने के टुकड़े की लोहे के टुकड़े से होती है मुलाकात, वो करते हैं एक-दूसरे से मीठी-मीठी बात। सोने का टुकड़ा कहता है- तू इतना क्यों चीखता-चिल्लाता है,जब तुझे लोहे के हथौड़े की मार पड़ती है, मैं इतना नहीं चीखता-चिल्लाता हूँ, जब मुझे पीतल के हथौड़े की मार पड़ती है। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।