रह-ए-इश्क में कुछ तुम भी,अपने से पहल करना। तोहफे़ में मिले आँसू,तो हँस के गजल करना॥ फिर से बखुशी लौटे,वो बज़्म हिरासत में। रौनक में शमअ का भी,मंजूर दखल करना॥ वो बार उठाना मत,लम्हों का सफर लेकर। आए न जिसे ग़म को,रंगों की फसल करना॥ बहकर के बहलते हैं,अश्कों का […]