मातृभाषा

संस्थान परिचय

कहानी मातृभाषा.कॉम की…

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मातृभाषा.कॉम हिन्दी वेबसाइट है, जिसका मक़सद हिन्दी के नवोदित और स्थापित रचनाकार, जो भाषा सारथी हैं, उनकी रचनाओं को सहेज कर लोगों तक ऑनलाइन उपलब्ध कराना है जो इससे गहरा लगाव रखते है और इसका आनन्द लेना चाहते हैं । वेबसाइट पर इस समय लगभग 2000 से ज़्यादा रचनाकारों की रचनाएँ उपलब्ध हैं जिनमें बढ़ोतरी जारी है। इस वेबसाइट का सबसे विशिष्ट पहलू यह है कि इसमें यह अंकरूपण के साथ-साथ हिन्दी भाषा के विस्तार हेतु भी प्रयासरत है। मातृभाषा.कॉम वेबसाइट को अधिक से अधिक फैलाने के लिए अब नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके डेस्कटॉप और लैपटॉप कम्प्यूटर के साथ-साथ टैबलेट और मोबाइल फ़ोन पर भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इंदौर के युवा डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ द्वारा हिन्दी साहित्य जगत से जनता को सुगमता से जोड़ते हुए भाषा के प्रचार -प्रसार हेतु एक प्रकल्प शुरू किया । हिन्दी के नवोदित एवं स्थापित रचनाकारों को मंच उपलब्ध करवाने के साथ-साथ हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने के उद्देश्य से शुरू हुआ इंटरनेट जाल भाषा के विस्तार में मील का पत्थर साबित होगा।

*’मातृभाषा.कॉम’ का उद्देश्य*

1. ‘मातृभाषा.कॉम’ का उद्देश्य हिन्दी साहित्य को विश्व के हर कोने में सुलभ कराना है जिससे विश्व भर में फैले हिन्दी प्रेमी अपनी सुविधानुसार इसका रसास्वादन और अध्ययन कर सकें।
2. हमारा उद्देश्य होगा कि विश्व के हर कोने में हिन्दी साहित्य की रचना में संलग्न लेखको को एक मंच परB लाया जा सके जहाँ वे अपने अनुभव और रचना प्रतिभा का आदान-प्रदान कर सकें और इस प्रकार हिन्दी के विकास में सहायक बनें।
3. हिन्दी साहित्य की लोकप्रियता को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करना तथा नए लेखकों की रचनाएँ प्रकाशित कर के उन्हें प्रोत्साहित करना।

इंदौर के डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’  द्वारा हिन्दी साहित्य जगत से जनता को सुगमता से जोड़ते हुए भाषा के प्रचार -प्रसार हेतु एक प्रकल्प शुरू किया। हिन्दी के नवोदित एवं स्थापित रचनाकारों को मंच उपलब्ध करवाने के साथ-साथ हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने के उद्देश्य से शुरू हुआ इंटरनेट जाल भाषा के विस्तार में मील का पत्थर साबित होगा । वेब जाल के संचालक डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ ने बताया क़ि, भारत में मातृभाषा हिन्दी के रचनाकारों की बहुत लंबी सूची हैकिन्तु समस्या यह है कि उन रचनाओं को सहेजकर एक ही स्थान पर पाठकों के लिए उपलब्ध करवाने में असफलता मिलती है। इस दिशा मेंमातृभाषा.कॉम‘ ने पहल की है,हम इस कार्य को बखूबी करने करेंगे। साथ ही हम आगामी दिनों में विद्धयालय-महाविद्धयालयों में हिन्दी के प्राथमिक ककहरा से लेकर अन्य विधाओं का परिचय करवाते हुए वर्तमान स्थिति को अवगत करवाने के उद्देश्य से कार्यशालाएँ भी लगाएँगे, साथ ही यदि कोई हिन्दी सीखना भी चाहता है तो उसे निशुल्क शिक्षण उपलब्ध करवाएँगे। मातृभाषा केवल एक पोर्टल नहीं बल्कि भविष्य में हिन्दी के विस्तार हेतु आंदोलन बनेगा “

मातृभाषा.कॉम द्वारा हिन्दी के घटकों की अनुपलब्धता पर चिंता जाहिर करते हुए आगामी कार्य योजनाओं में जो हिन्दी भाषा का प्रचार और विस्तार निहित किया है। युवा सोच में हिन्दी के प्रति ज़िम्मेदारी निभाना काबिल-ए-तारीफ है , यदि हिन्दुस्तान का हर हिन्दीभाषी केवल अपनी ज़िम्मेदारी ही हिन्दी के प्रति निभाना शुरू कर दे तो निश्चित तौर पर हिन्दी राजभाषा से राष्ट्रभाषा बन जाएगी।

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मातृभाषा.कॉम व मातृभाषा उन्नयन संस्थान की विकास यात्रा

*वर्ष 2016

11 नवम्बर, 2016 को हिन्दी के नवोदित व स्थापित रचनाकारों की रचनाओं को ऑनलाइन प्रकाशित करने व दीर्घकाल तक डिजिटल रूप से संग्रहित करने के उद्देश्य से *मातृभाषा.कॉम (matrubhashaa.com)* आरम्भ किया गया।

वर्ष 2017

● 21फरवरी, 2017 यानी अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस से हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रेरणा देते हुए *हस्ताक्षर बदलो अभियान* आरम्भ हुआ।

● हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य के साथ *’मातृभाषा उन्नयन संस्थान’* का पंजीयन हुआ।

● 29 नवम्बर, 2017 को मातृभाषा.कॉम के प्रबंध दल को जम्मू कश्मीर में वादिस हिन्दी शिक्षा समिति व जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग द्वारा सम्मानित किया गया।

● 20 दिसम्बर, 2017 के दिन हिन्दी को रोज़गार मूलक भाषा बनाने के उद्देश्य से *हिन्दीग्राम* की स्थापना हुई एवं हरिद्वार में योगगुरु स्वामी रामदेव जी द्वारा विवरणिका का विमोचन किया गया।

● 26 दिसंबर, 2017 को *‘शिक्षालय की ओर चले हिन्दीग्राम’* अभियान आरम्भ किया गया, जिसके अंतर्गत विद्यालओं में हिन्दीग्राम द्वारा हिन्दी में हस्ताक्षर का महत्त्व समझते हुए हिन्दी प्रचार आदि कार्य आयोजित किए गए।

वर्ष 2018

● हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के वृहद उद्देश्य की स्थापना के लिए संस्थान द्वारा जनसमर्थन अभियान आरम्भ किया गया।

● 3 फरवरी, 2018 को डॉ. वेद प्रताप वैदिक जी के मुख्य आतिथ्य में इंदौर में भाषासारथी सम्मान 2018 आयोजित हुआ, जिसमें मातृभाषा के प्रथम काव्य संग्रह मातृभाषा.कॉम का विमोचन हुआ।

● वुमन आवाज़ द्वारा 8 मार्च, 2018 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिलाओं पर केंद्रित पुस्तक ‘वुमन आवाज़’ विमोचित हुई।

● 5 अगस्त, 2018 को 55 महिलाओं को वुमन आवाज़ सम्मान से सम्मानित किया गया।

● साहित्यकार कोश की नींव रखी गई।

वर्ष 2019

● वर्ष 2019 का मातृभाषा गौरव पुरस्कार का आयोजन राजधानी दिल्ली में किया गया।

● 21 फरवरी, 2019 को संस्थान के प्रकाशन *’संस्मय प्रकाशन’* का शुभारंभ हुआ।

● हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए जन समर्थन एवं जनमत संग्रहण अभियान आरम्भ हुआ।

● सितंबर माह का पहले पखवाड़े में *हर दिन हिन्दी दिवस* का आयोजन कर हिन्दी पखवाड़ा मनाया।

वर्ष 2020

● 11 जनवरी, 2020 को वर्ल्ड बुक फ़ेयर, दिल्ली में वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स लंदन द्वारा 11 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाने के वृहद कार्य के लिए विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।

● 24 फ़रवरी, 2020 को इंदौर में पद्मश्री अभय छजलानी एवं राजकुमार कुम्भज जी को *’हिन्दी गौरव अलंकरण’* से विभूषित किया गया। यह सम्मान वर्ष 2020 से ही संस्थान द्वारा स्थापित किया गया है जो प्रत्येक वर्ष दिया जाएगा।

● 5 मार्च, 2020 को कविकुल श्रेष्ठ डॉ. सोम ठाकुर जी को *’ नवगीत रत्न’* अलंकरण से विभूषित किया गया।

● कोरोना के संकटकाल में केंद्र सरकार द्वारा देश में 70 दिन का लॉक डाउन लगाया गया। इन 70 दिनों में मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा डिजिटल रूप से *हर दिन हिन्दी उत्सव* मनाया गया।

● संस्थान द्वारा मासिक पत्रिका *’साहित्यग्राम’* आरम्भ की गई।

● वर्ष 2020 में ही *मातृभाषा उन्नयन संस्थान* को गुणवत्ता मानक व उत्कृष्ट सेवाओं के लिए आईएसओ 9001:2015 प्रमाण-पत्र प्राप्त हुआ। इसी के साथ, संस्थान भारत का पहला आईएसओ 9001:2015 प्रामाणिक हिन्दी सेवी संस्थान बन गया।

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।