कविता सदा से ही मनुष्य के अंत:करण में उठे भावों को स्वर देने का एक सशक्त माध्यम रही है । समय के साथ कविता के विषय, शिल्प एवं भाषा में परिवर्तन होते रहे है। पुरातन विषय परिवर्तित होकर समसामयिक हो गये है पर अनेक विषय ऐसे है जो मनुष्य के […]

सुधी साहित्यकार डॉ0 मृदुला शुक्ला “मृदु” की काव्य-कृति शतदल का मैंने गहन अवलोकन किया। इस कृति में 100 स्फुट रचनाएँ हैं। अर्थात मुक्तक कवितारूपी 100 पंखुड़ियाँ हैं, जो भक्ति-भावना,प्रेम-भावना,राष्ट्र-प्रेम एवं नैतिकतापूर्ण भावनाओं से ओत-प्रोत हैं। कवयित्री के द्वारा जिन वैविध्य विषयक भावों को जिस सहजता एवं सौष्ठव के साथ प्रस्तुत […]

कविता लिखी नहीं जाती, कविता स्वत: जन्म लेती है। वास्तव में मन के उद्गार ही कविता है। कवि यथार्थ के धरातल पर बैठा हुआ कल्पना लोक में स्वच्छन्दता पूर्वक विचरण करता रहता है। कवि पीड़ाओं के गहरे समुन्दर को पार करता हुआ कल्पनारूपी पतवार से अबाध गति से आगे ही […]

“साथ नहीं देती परछाई” इंदौर के प्रसिद्ध आशुकवि प्रदीप नवीन का पहला ग़ज़ल संग्रह है। उनकी पूर्व में गीत, काव्य और व्यंग्य पर कृतियां प्रकाशित हो चुकी है। पाँच दशक से नवीन जी लेखन और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेकिन क्वालिटी से कभी समझौता नहीं करते हैं। यही वजह […]

डॉ0 मृदुला शुक्ला “मृदु” की “भक्तयांजलि” आप भावुक भक्त जिज्ञासुओं के कर-कमलों में आकर भक्ति-पय-पान कराने में पूर्णत: समर्थ हुई है। पुण्य पावनी भारतभूमि बहुदेव-पूजित धरा है इस भाव को मन में समाहित कर डॉ0 मृदुला शुक्ला “मृदु” ने अपनी भावधारा एवं भक्तिधारा को “भक्तयांजलि” के रूप में प्रवाहित की […]

“वाक्यम रसात्मकम काव्यम” अर्थात आचार्य विश्वनाथ ने रसात्मक वाक्य को ही “काव्य”कहा है। कविता ही रसानुभूति कराती है। चाहे दुख का क्षण हो, चाहे सुख का। प्रत्येक क्षण में स्वत: ही कविता का जन्म हो जाता है, जब भाव, लय, छन्द,ताल आदि के द्वारा सुरमय हो जाता है, तभी कविता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।