ईर्ष्या की आँधी आडम्बर,के तूफां से टकराना है। हम दीपक हैं काम हमारा,तो उजियारा फैलाना है॥ स्वार्थपरकता के बादल जब,सच के सूरज पर छाते हैं। लालच के अँधियारे मिलकर,सच्चाई को खा जाते हैं॥ तब अचेत जन साधारण को,सच्चाई से मिलवाना है…, हम दीपक हैं काम हमारा,तो उजियारा फैलाना है…॥ पतझर […]

बद-से-बदतर हो रहे,निर्धन के हालात। सुरसा-सी बढ़ने लगी,मँहगांई दिन-रात॥ सूरज नया उगा रहे, मचा-मचाकर शोर। लोकतंत्र को लूटते, लोकतंत्र के चोर॥ रोता आँसू खून के, है मजदूर-किसान। मातम करते खेत हैं,मरघट से खलिहान॥ राजपथों तक ही सदा,सिमटा रहा विकास। पगडंडी की पीर का,किसको है अहसास॥ लगी पेट की आग ने,दिया […]

हसरतें सब आपकी मौला करे फूले-फलें, हर कदम खुशियाँ तुम्हारी हमकदम बन कर चलें। इन लबों पर हो तराने प्रीत के,मनमीत के, ज़िन्दगानी के चमन में फूल खुशियों के खिलें। ज़िन्दगी में ज़िन्दगी,बस ज़िन्दगी की बात हो, शाम सिन्दूरी हमेशा,गुनगुनाती रात हो। है दुआ रब आपके हर ख्वाब को पूरा […]

थोड़ी-सी गलती मेरी है,और तुम्हारी भी थोड़ी-सी। कौन मगर गलती करके भी,अपनी गलती को स्वीकारे॥ हमने अपनी मन तृष्णा के, घोड़े जीवन भर दौड़ाए। मैं भी राम नहीं बन पाया, तुम भी खुदा नहीं बन पाए॥ हम दोनों ही भौतिकता की, चाहत की चाहत से हारे। कौन मगर गलती करके […]

शब्दों के साधक अगर, रहे साध कर मौन। कमजोरों की वेदना, कहो कहेगा कौन॥ कोई भी सत्ता रहे, कोई पक्ष विपक्ष। कविता तो हर बात को, कहती है निष्पक्ष॥ यादों में ज़िन्दा रहे, केवल वे जन शेष। जीवन में जो कर गए, कोई काम विशेष॥ निष्ठा से पालन करें, यदि […]

उच्च पद पर बैठकर ये काम तो मत कीजिए, सर वतन के नाम ये इल्जाम तो मत कीजिए। जी रहे हैं साथ सदियों से अमन से चैन से, देश की अवाम को बदनाम तो मत कीजिए। डर रहे हैं वो बसा है चोर जिनके दिल जिगर, खा रहे हैं भय […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।