रिमझिम–रिमझिम बरसता पानी रिमझिम–रिमझिम पानी की बूंदें, देखो कितनी उन्मादित करतीं। नयी–नयी कोंपलों को देखो मानो सीपों से भर देतीं। मधुवन की हरियाली देखो, गोरी के सजीले नयनो को देखो। मदमस्त मुखड़े की शौहरत को देखो बलखाती–सी ज़ुल्फ़ों को देखो। घूंघट में पग डोलते हुए, शर्माती हुई, लजाती हुई, आती […]

सावन भू तल मेघ गिरे जल, दृश्य अलौकिक नैनन आगे। प्यार ढरे वसुधा मधु आँचल, नेह झड़ी धरती रस जागे। श्याम घटा बरसे मन भावन, संग बयार लुभावन भागे। अंबर नेह भरे चित पावन, मुग्ध धरा वधु लज्जित लागे। बुद्धि प्रभा बन देख रही तम, छूट रहा अब तामस ऐसे। […]

झरझराता सावन भिगोती वो फुहारें तीज हरियायी सावनाई इठलाई सलोनी नीम पुरवाई घेवर- सिवइयाँ रेशमी राखियों की रेशमाई झरझराती पीली निंबोलियाँ बहुत कुछ समेट लाईं मेघों पर सवार मन बावरा उड़ चला उड़ चला सुदूर दूर जहाँ था नन्हा बचपन माँ का आँचल और माँ के आँगन में खेलती नन्ही […]

पहला सावन का सोमवार भोले बाबा का है द्वार शांत मन से की गई पूजा है स्वीकार सब भक्तन का करते बेड़ा पार ओम नमः शिवाय की धुनि रमाए बारंबार………. अर्धचंद्र मस्तक पर विराजे जटा से निकली गंगा की धार गले में सर्पों की माला, भस्म अंग सुहावे पहन मृगछाला, […]

तन-मन अपना न्योछावर कर, खड़े हो डटकर सीमा पर, मेरे प्यारे भैया तुम्हरी, हम लें बलैयाँ जी भर कर।। भेज रही हूँ पाती भैया, स्नेह प्यार से सींचकर, हो सके तो आना भैया, पावन रक्षाबंधन पर।। माँ बाबुल हैं राह देखते, तुम्हरे घर पर आने की, भावज के हाथों भी […]

जब से तेरी लगन लगी है कुछ भी और नहीं भाता। भाना तो अब दूर जगत से टूट गया झूठा नाता।। रोम – रोम में हुलक मारती पुलक न जाने क्या कर दे। एक झलक की चाह लिए यह ललक न जाने क्या कर दे।। जब – जब मैं तुझमें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।