कभी भी… चार दिवारी में कैद होकर खुद को सबसे जुदा नहीं करना चाहिए। उम्मीद के लिए घर की तरह ही एक खिड़की हमेशा खुली रखना चाहिए। उजाले की कोई किरण…. कभी कोई पैगाम ले आएगी। कभी चमकती धूप से मन की उदासी छट जाएगी। धूप-छाँव से जगमग होगी सारी […]
काव्यभाषा
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