आया सावन झूमकर तीज त्यौहार की लाया बहार मंद-मंद जलद मुस्काएँ उमड़-घुमड़ घटा छाएँ अम्बर पर इंद्रधनुष आए। आया सावन झूमकर।। सजी हाथों में मेंहदी पिया संग झूले बावरी सोलह शृंगार से सजी गौरी झूम रहीं कलियाँ सारी आया सावन झूमकर।। धरती ने हरीतिमा की ओढ़ी चुनरियाँ सजनी के हाथों […]

आया है ख़त मीत का, मुझे सुकून से पढ़ने दो। आ रहे परदेशी सजनवा, तैयारी मुझको करने दो। सतरंगी चूड़ी पहनकर, मुझे प्रीत के गीत गाने दो। आ रहे वो मेरे साजन, मेंहदी मुझको लगाने दो। रंग–बिरंगी चूड़ियों के संग, कंगना मैं तो पहनूॅंगी। मंगलसूत्र पहनकर मैं तो, सिंदूरी माॅंग […]

हर-हर भोले शंकर बाबा, सावन के महाराजा…. भाए बेलपत्र, धतूरा, करे मंगल काज पूरा। शंकर_सा योगी न दूजा, जन श्रद्धा से करें पूजा। हर-हर भोले शंकर…. पूरे श्रावण सोमवार, लगता बाबा का दरबार। होके नन्दी पर सवार, निकले बन–ठन के सरकार। हर–हर भोले शंकर…. सावन की हरियाली, बाबा को बड़ी […]

रिमझिम की फुहारे बरसीं, देखो खेतों में हरियाली छाई, सावन की ऋतु आई, घनघोर घटाएं छाईं। जैसे हरी भरी चुनरिया पहने, धरती माँ की आभा लौट आई, रिमझिम की फुहारे बरसीं, देखो खेतों में हरियाली छाई। आषाढ़ बीता अब तो सावन आया, प्रकृति मंद–मंद मुस्काई, सूखी पड़ी धरा थी जैसे, […]

नाचते हैं पेड़, गाते हैं पौधे, झूम के मतवाले मस्त हुए जाते हैं। तपती हुई धरती के संतप्त प्राणी, ख़ुशी के इज़हार को दोहराए जाते हैं। धूल के हैं रंग गुलाल, हवाओं के जोश जश्न, मौसम के स्वागत में व्याकुल आतुर होकर, सभी जैसे प्रियवर का मिलन गीत गाते हैं। […]

उतरी बरखा, भीगी धरती, हरियाली चहूँ ओर छाई। ज्यों मंदिर में बजी घण्टियाँ, त्यों यौवन ने ली अँगड़ाई।। झूले पड़े हर कदम की डाल, झूलने चले सब हंस की चाल। माँग सिंदूर, बिन्दिया सजी भाल, भाई बने सब ही बहना की ढाल।। लगी जैसे ही सावन की झड़ी, मन मयूरा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।