मानवता बिक रही है अब बाजारों मे, काला बाजारी हो रही है बाजारों मे। कुछ सांसे गिन रहे हैं अस्तपतालो मे, दानवता गिन रही है नोट बाजारों मे।। राजनेता लिप्त हैं अनेक भ्रष्टाचारों मे, जनता पिस रही है उनके अत्याचारों मे, करे तो क्या करे इस कोरोना काल में, जब […]