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हंसते पल में लगते रोने, प्यारे इनको खेल-खिलौने.. करते सब पर जादू टोने, ऐसे प्यारे बचपन की.. बात करें हम बचपन की, प्यारे-न्यारे बचपन की। गिल्ली-डंडा और कबडडी, कोई अव्वल कोई फिसडडी.. मोटा-तगड़ा या हो हडडी, ऐसे अनोखे बचपन की.. बात करें हम बचपन की, प्यारे न्यारे बचपन की। जोजफ,जुम्मन […]

शहीदों पर लरजता दिल संभालूं तो चलूं, अश्रु उनके परिजन के छुड़ा लूं तो चलूं। अपनों में कई रंग भाते नहीं ‘निर्झर, सबको इक रंग में रंग लूं तो चलूं। अबकी होली कुछ इस तरह मनाई जाए, भ्रष्टाचार उन्मुक्तता होली में जलाया जाए। हो रहे बदरंग रिश्ते ‘निर्झर’ इस संसार […]

हिन्द और हिन्दी की जय-जयकार करें हम, भारत की माटी,हिन्दी से प्यार करें हम l भाषा सहोदरी होती है,हर प्राणी की, अक्षर-शब्द बसी छवि,शारद कल्याणी की.. नाद-ताल,रस-छंद,व्याकरण शुद्ध सरलतम, जो बोले वह लिखें-पढ़ें, विधि जगवाणी की.. संस्कृत सुरवाणी अपना, गलहार करें हमl हिन्द और हिन्दी की,जय-जयकार करें हम, भारत की माटी,हिन्दी से प्यार करें हमl असमी,उड़िया,कश्मीरी,डोगरी,कोंकणी, […]

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वो ग़रज़परस्ती आदमी मुझे ऐसा छोड़ गया, जैसे कोई शराबी खाली बोतल छोड़ जाता है। जैसे मधुमक्खी रस खींच फूल को छोड़ जाती है, जैसे पत्तियां शज़र का साथ छोड़ जाती है। जैसे वीणा ने राग का साथ छोड़ दिया है, जैसे सुई ने धागे का साथ छोड़ दिया है। […]

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ठोकर खाता हूं,अश्क भी बहाता हूँ, गिरता हूँ,उठता हूँ,पर शान से चलता हूँ। न भय खाता हूं,न ही थोड़ा रुकता हूँ, खुले आसमान के नीचे सीना तान के चलता हूँ। जब भी सोचता हूं, दुनिया से घबराता हूँ। मुश्किलें तो साज हैं, जिंदगी भर आएगी.. गिरते उठते भी मुझे, एक […]

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भूलकर सारे गिले-शिकवे अपनों के, एक-दूसरे को हम रंग लगाएंगे। जिंदगी में भर दे खुशियाँ जो फिर से, इस बार होली ऐसी मनाएंगे। जो भी होगा रुठा मुझसे अभी तक, जाकर घर स्वयं उसके हम मनाएंगे। एकसाथ मिलेंगे हम सब फिर से, बचपन वाली वो होली फिर से मनाएंगे। बेरंग-सी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।