अशोक काम की तलाश में गाँव से शहर आया। पढ़ा-लिखा ज्यादा था नहीं,इसलिए मजदूरी करने लगा, लेकिन उसका साथी मजदूरों से अक्सर झगड़ा होता था। कारण था उसका बातचीत में गाली-गलौज का इस्तेमाल। इसलिए कुछ ही दिनों में काम से निकाल दिया जाता था। बेकारी के समय खर्चा चलाना मुश्किल […]
आजादी का स्वप्न संजोया..अपनी खुशिंयाँ भूलकर, काट बेड़ियां भारत माँ की..चला निरंतर शूल पर। राष्ट्र दुलारा,आँख का तारा,शेर..ए बब्बर सरजमीं का, भगतसिंह बलिदान हुआ था..हंस फाँसी पर झूलकर। उम्र न जिसको रोक सकी थी..बारुदों के खेलों से, दाँत शेर के जो गिनता था..मौत स्वयं अनुकूल कर। राष्ट्र प्रेम का प्रखर […]