पता नहीं क्यूँ, मन हो रहा है इस वक़्त एक सुलगी-सी कविता लिखने का कुछ-कुछ मुझ जैसी मेरे प्यार के जैसी .. या एक कॉफी हाउस में एक ग्लास पानी के जैसी जो मेरे होंठों से लगकर गुजरी थी .. तुमसे ही कहीं। पता नहीं क्यूँ, मन हो रहा है […]

बाहर भी दिखा था, भीतर भी दिखा था लफ्ज़ कुछ शातिर थे लफ्ज़ कुछ कातिल थे शब्द कुछ दोस्त थे शब्द कुछ दुश्मन थे दिल में समेटे हुए लफ्ज़ सभी मौन थे। एक सैलाब आया, आंधी की तरह और लफ्जों के बांध को तोड़ दिया,वहां लेखनी खड़ी थी और आपने […]

इस बार सरसों की फसल अच्छी होगी सरसों के पीले फूल खिल रहे हैं बौर भी अच्छा ही आएगा फिर भण्डार भर जाएगा। सरसों के फूलों की खुशबू बता रही है, अच्छे शगुन ला रही है गीत पुरवाई संग गा रही है बहारें इस बार तो होंगी जरूर ईश्वर कभी […]

सोंधी-सोंधी-सी ख़ुशबू लेकर जब तुम आती हो, मुझको तो लगता है अपने खेत की तुम माटी हो। हरे-भरे पत्तों के जैसा है परिधान तुम्हारी, बागों की नाज़ुक कलियों -सी है मुस्कान तुम्हारी, पंखुड़ियों से अधर खिले तुम हर एक को भाती हो। मुझको तो लगता है अपने खेत की तुम […]

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भगवान बुद्ध के अनुसार शरीर और मन के प्रति सावधान रहने से दुखों से छुटकारा मिल सकता है। बुद्ध ने संसार को समझने और अपनी धारा तय करने के लिए एक तकनीक का प्रयोग किया जिसका नाम है-सती अनापान’ तकनीक। इसके अनुसार प्राण वह श्वांस जिसे अंदर खींचा जाता है […]

तेरे खफा होने और मेरे रुठने में फर्क इतना-सा है, तुम खफा होती हो तो मैं तुम्हे मनाने आता हूँ, मैं अगर रुठता हूँ तो खुद ही मान जाता हूँ। तेरे प्यार में इस कदर पागल हुआ है ये दिल, तेरी बेवफाई पर भी,वफ़ा लुटाता जाता हूँ। लाख छुपाता हूँ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।