गुल्लू बोला मम्मी से, आज क्लास में मैडम जी ने बड़े पते की बात बताई, खेल-खेल में हम बच्चों को बड़े मज़े की बात सिखाई। पता है तुमको अपनी पृथ्वी, गोल है बिल्कुल गेंद के जैसी.. लटक रही आकाश में ऐसी, बिन डंडी के सेब के जैसी। बिना थके चक्कर […]
काव्यभाषा
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