भाग-३……………… फिल्म उद्योग में सभी पेशेवर हैं,काम के प्रति समर्पित,समय के पाबन्द। अलग-अलग प्रदेश,अलग-अलग भाषा के लोग कितनी अच्छी समझ के साथ मिलकर काम करते हैं,मुंबई फिल्म उद्योग इसकी मिसाल है। इस बीच फिल्म्स राइटर्स एसोसिएशन की सदस्यता भी मुझे मिल चुकी थी। करीब दो सप्ताह के बाद एक रोज मैंने हरिवंशराय […]

भाग 2…………. बीएससी.(ऑनर्स)की परीक्षा खत्म होने तक निर्माता निर्देशक बी.आर.चोपड़ा के चार पत्र आ चुके थे। दरअसल उन दिनों ‘चित्रलेखा’ नाम की फ़िल्म पत्रिका प्रकाशित होती थी,जिसके किसी अंक में मेरी दो ग़ज़ल छपी थीं। कहीं चोपड़ा साहब की नजर उस पर पड़ी थी। फिर उनकी फ़िल्म ‘आज की आवाज’ […]

(दिलीपकुमार की वर्षगाँठ पर विशेष) बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी,होंठों पर फबती हंसी,उबाल खाता जोश,अभिनय में बर्फ-सी शीतलता के साथ अभिव्यक्ति की तीव्रता,जिसकी खूबी का बखान करते वक्त एक बार तो सारे विशेषणों, उपमाओं और उपमेयों का भंडार भी अपर्याप्त-सा महसूस होने लगे,जिसे कभी ‘ट्रेजडी किंग’ कहा जाए तो कभी अभिनय का […]

  भाग-१ ………………… १९८२-८५ मेरे छात्र जीवन का व्यस्ततम समय थाl मोतिहारी के एम.एस. महाविद्यालय में बीएससी(ऑनर्स) की पढ़ाई चल रही थी। वहीं पंचमन्दिर इलाके में एक किराए के मकान में रहना होता था। भौतिकशास्त्र की जटिल पढ़ाई और परीक्षा की तैयारियों के बीच औसतन हर रोज एक कोई रचना […]

भाग-१ बस्ता,जिसे अँग्रेज़ी में बैग और हिंदी में थैला बोलते है,पर मुझे बस्ता बोलना पसंद है,क्योंकि जब छोटे थे,शाला जाते थे तो इसे बस्ता बोलते थे। पता है ये बड़े काम की चीज था,तब भी और अब भी। बड़े होते गए और बस्ते बदलते गए। कई बार मार भी खाई […]

संस्मरण #डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’   जब भी प्रेम के गीतों का बखान होगा,ज़ाफरान की तासीर का तरन्नुम बनेगा, कश्यप की धरती का गुणगान होगा, शंकराचार्य की जुबानी कही जाएगी, लालचौक से क्रांतिसूत्र माँगा जाएगा, डल झील से टपकते पानी की बात होगी, शिकारों और तैरनेवाले घर (हॉउस बोट) की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।