जिस तरह नशा, शराब में नहीं.. अपने-आप में होता है, ठीक उसी तरह मजा किसी वस्तु; स्थिति या परिस्थिति में नहीं,अपने-आप में होता है। जिन्दगी का मजा लेना भी, एक फन,एक हुनर अदाकारी, कलाकारी है, जो हर किसी के बस की बात नहीं है। उत्सव का आनन्द, मौसम की मस्ती.. […]
काव्यभाषा
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