लोकतंत्र अर्थात् प्रजातंत्र, प्रजा द्वारा चुने जाने का तंत्र.. प्रशासन के लिए चुनाव शासक का जनता के लिए,जनता द्वारा ,जनता का। स्वतंत्र हुआ देश तो गणतंत्र आया, प्रजा का शासन लोकतंत्र कहलाया.. प्रजा चुनती योग्यता के आधार पर शासक हर ओर प्रजा का राज्य छाया । प्राचीन काल में भी […]

बंद करो यह गंदी सियासत लाशों की, मत काटो गर्दन जनता की  आसों की.. जबसे राजनीति बैठ गई है कोठों पर, गांधीजी भी हंसने लगे हैं नोटों परl तिजोरी भर-भरकर खुद को वजीर बना डाला, घोटाले कर-कर इस देश को फकीर बना डाला.. देश को दंगामुक्त और हमें अमनपरस्त रहने […]

हे मृतुंजय,हे महाकाल,हे विश्वनाथ शत-शत प्रणाम, हे करुणाकर,हे डमरुधर शिव त्राहिमाम, शिव त्राहिमाम। संकट के बादल घिरे आज,पथ पर घनघोर अँधेरा है, जीवन साथी के प्राणों पर,चल रहा राहु का फेरा है। माना मैं अधम निरापापी,अपराधी नाथ तुम्हारा ह्ँ, भौतिक लिप्सा में डूब प्रभु मैं कर्म चक्र का मारा हूँ। […]

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कब तक यूँ श्वेत कपोतों की बिरियानी उन्हें खिलाओगे, कब तक घाटी के असुरों को वीरों का रक्त पिलाओगे। कब तक नापाक पड़ोसी की साजिश में फ़ंसते जाओगे, कब तक समझौतों को कर शहादतों पर हँसते जाओगे। अलगाववाद,आतंकवाद को अलग-अलग मत तौलो जी, वो भी तो आतंकी हैं अब छाती […]

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आओ साथी सबको बचाएं निराकार इस दुश्मन से, जो वर्षों से खेल रहा है अनमोलों के जीवन से। भूल हुई तो भूलो उसको, करो न आगे ऐसी गलती, जिसके करने से रुक जाए स्वर्ण पथ पर गाड़ी चलती। यह कुगति सारथी कुल विनाशक असाध्य रोग है, जिसे देता जन्म असुरक्षित […]

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चलते हैं जो रास्ते वो सफ़र, जो साथ चले वो होता हमसफ़र। हर इंसा तय करता अपना सफ़र, कभी किसी शाम तो कभी शहर। रास्ते बदले,लोग बदले,बदले हमसफ़र, दिया न साथ,सब धोखेबाज़ निकले। बिन रुके पाया अपना मुकाम, लाख कोशिश की न हुआ नाकाम। कठिन श्रम से दौड़ाई सफलता की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।