आज तक याद है, वो मीठा स्पर्श तेरा.. नव-यौवना संकुचित-सी, दुल्हन बन आई नया घर,नए लोग, नया परिचय तुम्हारा।। अब तक मां-बाबा,भाई-बहन से ही पाया स्नेहिल स्पर्श, ये नया-सा अहसास तेरी छुअन का, हाथों में हाथ लेकर मानो कह रहे हों.. आओ संगिनी स्वागत है, मेरे हृदय-कुंज में, जी लें […]
काव्यभाषा
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धरती तपती देखी तो मानव घबरा गया, शिकायतों का पुलिंदा लेकर कैलाश पर्वत आ गयाl कैलाश पर पार्वती संग बैठे थे भोले, मानव भोले से ऎसे बोले- बचा लो प्रभु अब नहीं सहन हो पाएगा, गर्मी इतनी बढ़ गई कि `एसी` भी फेल हो जाएगा। इतनी सुन भोले ने सूर्य देव को बुलवाया, सूर्यदेव कैलाश पर्वत आए और फिर मुस्कुराए.. भोले बोले-मानव शिकायत ले आया है, तुझे कोई गम नहीं तू क्यों मुस्कुराया आया है। सूर्य बोला-इसमें मेरी क्या गलती है, मानव इतना प्रदूषण फैला रहा है.. जिससे धरती बेवजह तपती है। […]