आज तक याद है, वो मीठा स्पर्श तेरा.. नव-यौवना संकुचित-सी, दुल्हन बन आई नया घर,नए लोग, नया परिचय तुम्हारा।। अब तक मां-बाबा,भाई-बहन से ही पाया स्नेहिल स्पर्श, ये नया-सा अहसास तेरी छुअन का, हाथों में हाथ लेकर मानो कह रहे हों.. आओ संगिनी स्वागत है, मेरे हृदय-कुंज में, जी लें […]

अच्छी तरह याद है इतवार था उस दिन… कबाड़ी वाले की आवाज गली में गूंज रही थी घर के कबाड़ के साथ बिक गई थीं कुछ अमूल्य निधि भी बस १२ के भाव में… कब सोचा था कि एक रद्दी बेचने वाला ले जाएगा मेरे जीवन के सारे एहसास कुछ […]

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जीवन के क्षण लिखूंगी, अधिकारों को समझूँगी.. कर्तव्यों को निभा के मैं, नए अध्याय को जुड़ूंगी…ll विचारों का मंथन, दूसरों का आचरण.. कर्तव्यों को निभा के मैं, जीवन का दर्पण देखूँगी…ll आस में विश्वास कर, ढूंढा अपनों का साथ.. कर्तव्यों को निभा के मैं, जीवन में विश्वास रखूँगी…ll सबको प्रेम […]

बेख़ौफ़ हो रही हैं पुतलियाँ किसलिए, दम तोड़ रही हैं सिसकियाँ किसलिएl जब हिन्दू भी अपने हैं,मुसलमां भी अपने, ख़ामोखां जल रही हैं बस्तियां किसलिएl इस फिजा में मिलाया है ज़हर किसने, बे-मौत मर रही हैं तितलियाँ किसलिएl इंसान तैरता पानी में,पंछी चलते ज़मीं पर, हवा में उड़ रही हैं […]

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धरती तपती देखी तो मानव घबरा गया, शिकायतों का पुलिंदा लेकर कैलाश पर्वत आ गयाl कैलाश पर पार्वती संग बैठे थे भोले, मानव भोले से ऎसे बोले- बचा लो प्रभु अब नहीं सहन हो पाएगा, गर्मी इतनी बढ़ गई कि `एसी` भी फेल हो जाएगा। इतनी सुन भोले ने सूर्य देव को बुलवाया, सूर्यदेव कैलाश पर्वत आए और फिर मुस्कुराए.. भोले बोले-मानव शिकायत ले आया है, तुझे कोई गम नहीं तू क्यों मुस्कुराया आया है। सूर्य बोला-इसमें मेरी क्या गलती है, मानव इतना प्रदूषण फैला रहा है.. जिससे धरती बेवजह तपती है।                                                                   […]

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विदा होते ही आँखों की कोर में आँसू आ ठहरते, और आना-जल्द आना कहते ही ढुलक जाते आँसू, इसी को तो रिश्ता कहते जो आँखों और आंसुओं  के बीच मन का होता है, मन तो कहता और रहोl मगर रिश्ता ले जाता, अपने नए रिश्ते की ओर जैसे चाँद का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।