काँव-काँव,मची हर ओर, वाक़ई बहुत,बढ़ा है शोर..। अज़ान या आरती से नहीं, घण्टा शंख ध्वनि से नहीं.. पवित्र गुरुवाणी से नहीं, किसी की प्रार्थना से नहीं.. इसका कारण है कुछ और, वाक़ई बहुत,बढ़ा है शोर…। कलयुग के कल-कारखाने, कल-कल करते रहते हैं। चौड़ी सड़कों पर सब वाहन, चीं पों करते […]

किसे अपना हम कहें,किसको कहें  पराया, खाए कई  बार धोखे,लेकिन  समझ न  आया। अपने-से बनके  रहना,दिखाया भी ये बहुत, मगर वक्त आने पर,ठेंगा ही  दिखाया। नफ़रत से भरी दुनिया में,ऐसा भी नहीं है, जिसको  किया किनारा,उसका ही साथ पाया। लगता है व्यर्थ सब कुछ,माया और   छलावा, बस एक ईश्वर का […]

तलाशती हूँ अब भी, खामोशियों में गूंजती तेरी वो आवाज़ जो दे जाती थी राहत…..। बिना कुछ कहे आ जाता था सुकून… बिना सहलाए भी, लग जाता था मरहम। जिंदगी का हर ज़ख्म भर जाता था आ ही जाती थी चेहरे पर इक हँसी तेरे चेहरे की सौम्य मुस्कुराहट….. तलाशती […]

ए दिल बता,मेरी ख़ता क्या है, सोचता क्या है,आखिर तेरी रज़ा क्या है। राज़ है कोई,जो छुपा रखा है तूने। बता तो सही,आख़िर माज़रा क्या है।। एक अरसे से,लिखना चाहते थे, दिल के जज़्बातों को कलम से। पर जब लिखने बैठे,तो सोच में पड़ गए, आखिर लिखना क्या है।। क्यूँ […]

(सचिन तेंडुलकर के जन्मदिन पर) जय सचिन क्रिकेट के तारे। तुम्हरे बल्ले से सब  हारे।। मुम्बई में जनम तुम पाया। भीम शिवा-सा नाम कमाया।। मां रजनी ने दूध पिलाया। अजित अंजली साथ निभाया सोलह बरस की उमर थी भाई। अभिमन्यू  की  याद दिलाई।। पहला  मैच  पाक  से खेला। अकरम की […]

1

पंद्रह साल पुरानी बात है,वैष्णो देवी माता के दर्शन की मन में आस लिए भोपाल स्टेशन से मालवा एक्सप्रेस से हम पति-पत्नी और अपनी एक अदद बच्ची को साथ लिए पूरे श्रद्धा भाव से जम्मू के लिए निकल पड़े थे। जम्मू से कटरा जा रही बस में अधिकतर भक्तगण ही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।