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तपती हूँ मैं जलती हूँ मैं, होकर निष्प्राण जैसे मरती हूँ मैं.. रौंदकर मेरे सम्पूर्ण विस्तार को, बना डाला है मुझको अभागिन धरा। कर दिया खोखला तूने मेरी देह को, क्यूँ बनाया है बंजर मेरी कोख को.. करके दोहन मेरा छीन गहना लिया, पेड़-पौधों को भी तूने तनहा किया। पत्ते-पत्ते […]

[मजदूर दिवस (१ मई )पर विशेष ] उन्हें कोई फर्क नहीं पढ़ता, रात अमावस की हो काली या हो पूर्णिमा की उजियारी, अपने पसीने की लालिमा से सर्वत्र रोशन किया है उसने, जहां पहुंचने में रवि की किरण असहाय हो जाती है। तन ढँकने को तनिक-सा चिर ज्यादा दिखाई देता […]

किसी के दुःख को न समझ पाना भी तो,बहुत बड़ा पाप है, किसी को तनावग्रस्त करना भी, बहुत बड़ा अभिशाप है। कितना दर्द है इसमें मुराद ही जो, पूरी नहीं होती , ख़ून के आँसू पीने से बड़ा,और कौन – सा विलाप है। तप्त आँसूओं की गरमी में तो, दर्द […]

जिंदगी तू मेरी गजल और मैं तेरा गीत बन जाऊँ, भा जाए जो तुझे, प्यासे मन का मीत बन जाऊँ। आती रहे सदाएं, यूँ ही बार-बार नजारे बनकर, नज्मों की कुछ किताब में बहार-ए- जीत बन जाऊँ। रहा जाए तुझमें,हर पल बजते हुए किसी साज में, सदाबहार गीतों की कसम, […]

मेरे छत पर बैठी चिड़िया, मांगे मुझसे पानी रे.. बून्द-बून्द को तरसे आंगन, तरसे बाग-बागानी रे। ताल-तलैया सूख गए, सूखा आंख का पानी रे.. बादल रुठे,रुख ठूठे, रुठी बरखा रानी रे.. मेघराजा भूल गए मग, बिसरा चुल्लू पानी रे.. मेरी छत पर बैठी चिड़िया, मांगे मुझसे पानी रे..। बिन पानी […]

वक्त के हाथों जिंदगी, यूँ फिर से तड़प गई, भरा पड़ा है दर्द अन्दर, पर यूँ ही छिप गई। सागर में उठा था बबंडर, पर यूँ ही रुक गई, वक्त के हाथों जिंदगी, बस यूँ फिर से तड़प गई। घुटन इतनी तीव्र थी, मैं देखकर हैरान हूँ, मुझे सुनाएगी क्या […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।