“यह तुम्हारा रोज़-रोज़ का तमाशा हो गया है। दो दिन आती हो और चार दिन छुट्टी मारती हो…कभी लड़की बीमार है, कभी लड़का और कभी खुद। काम में मन लगता नहीं, बस पैसे चाहिए। मालूम है इस महीने पूरे दो सौ पचास रूपये चढ़ गये हैं। महीना पूरा होने में […]
लघुकथा
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