पठन पाठन का नाम बडे फीस चौगूनी भरना पडे हर दिन एक नई माँग बढे पढाई को स्टैण्डर्ड कहना पडे। क कारहा वर्तनी पहाडा जो रटा जाता था अब तो टीचरो की जुवान पर भी टू वन जा टू कहना पडे। गणित हो या ज्ञान सब हो गये सामान्य हाय […]

नीले गगन के तले वृक्षों को पाकर धरती का श्रृंगार बढ़े। लहराती झोंके बलखाती डाली फूलों का खिलना हवा का बहना मानव का कल्याण करे नीले गगन के तले वृक्षों को पाकर धरती का श्रृंगार बढ़े। ऊँचे-वृक्ष और पहाडी हर ओर हरियाली नदी और नाले प्रकृति को है प्यारे जीवन […]

आज दफ्तर से निकलने में देर हो गई बरसात का मौसम था। हल्की बूँदा-बांदी हो रही थी। आकाश में बादल उमड़ रहे थे, मानो जोड़ की बारिस आने वाली हो।हल्की हल्की हवा और सून-सान पगडंडियों से चलता हुआ मैं घर की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक मेरी नजर खेल […]

एक था बातुक उसे दोस्ती थी राज कुमार से वह जब कहीं जाता बातुक को अपने साथ ले जाता। एक दिन वे दोनों जा रहे थे धने जंगल सून-सान विरान राहों पर राजकुमार ने पूछा? बातुक कुछ बोलो! ऐसे चुप क्यो हो? बातुक कुछ सोचकर बोला! राजकुमार- “हम तुम एक […]

लेकर चमन की सारी खुशियाँ मचलने लगी है बागों की कलियाँ । नीली , पीली , रक्तिम , गुलाबी खिलने लगी है बागों की कलियाँ ॥ ओस की बूँदों पे सूरज की किरणें पड़ते ही सजती है मोती की लड़ियां । रंग -बिरंगी विभिन्नाकृतियाँ अवनि पे उतरी इन्द्रधनुषी छवियाँ । […]

जीवन की आखिरी पड़ाव पर कुछ एहसास बाकी है। मूँदते आँखो से कुछ देखने की शायद आस अभी बाकी है। सफर में जो छूट गए थे अधूरे से सपने उन्हें पूरा होने की उम्मीद बाकी है। ऐसे तो न थे तेरे इरादे बदले हुए तेवर की फजीहत अभी बाकी है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।